कैसे कहूँ क्या है तुम नहीं समझोगे ।
बात ऐसी भी नहीं जो कही ना जा सकें यकीं है, गर कह भी दूँ तुम, नहीं समझोगे ।
हाल मेरा, बेहाल नहीं खुश हूँ मैं, निराश नहीं कुछ है, जो अभी पूरा नहीं ये अधूरा क्या है? मैं कैसे कहूँ क्या है। तुम, नहीं समझोगे ।
वो चेहरे पढ़ता है ।
जो है दिल में चेहरे से दिखता नहीं दिल का सच चेहरे पर मिलता नहीं ।
ये दिल ही दिल में, कैसे कहूँ क्या है तुम, नहीं समझोगे ।
रात बहुत है, सो गये तुम। मेरे यूँ जगाने की वजह क्या है। कैसे कहूँ, तुम नहीं समझोगे।
©अभिषेक भार्गव
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