इस गुलाब के नायाब गुलाब
आने में हर बार बहुत समय लेते हैं ।
लेकिन
एक अजीब एकता है
इस पौधे में आने वालों फूलों की भी।
ये जब भी आते हैं, एक साथ ही आते हैं ।
और इन्हें साथ देख , मुझे बहुत खुशी मिलती है।
मेरे कहने का मतलब जो है
तुम समझ रही हो ना ।
मेरे बिना तुम्हारे, तुम्हारे बिना मेरे
कदम किसी भी राह को ना जायें ।
क्यूँ ना हम भी, ऐसे ही गुलाब हो जायें ।
जहाँ भी रहें, जहाँ भी जायें
तुम और मैं एक साथ, चलें, चलते जायें ।
©अभिषेक भार्गव
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